मंगलवार, 30 नवंबर 2010

आओ चलें

अब तपता मौसम
तपी हुई दोपहर
मुझे तय करना है लम्बा सफर
आओं चले साथ साथ
कन्धे से कनधा मिला
और हाथो मे हाथ
मुश्किल है ?
खैर रोको नही मुझे अब मैं चलता हु
मुबारक हो तुझे उपर तमतमाते हुए सूरज का चेहरा
नीचे अलाव सी रेत की लहरें
मुझे रोको नहीं
खड़े होने दो वहीं
उसी अलाव सी
तट भूमि पर देखने दो
जलते सूरज को
होने दो नाश
आंखो का अंधेरा
सपनों से संजोये
चेहरा तुम्हारा

शनिवार, 27 नवंबर 2010

तृष्णार्थ चेतन

आज सभी की जीवन अस्थिर हे, मानसिक उतावलापन चरम सीमा पर है,व्यस्तता घड़ी के सुई को परास्त करना चाहती हैं। ऐसा लगता है जैसे वे अंधेरे में कुछ ढूढंना चाहते है लेनि उन्हें वो मिल नही रहा है। चरम गरीबी में जो जी रहें ,दो जून की रोटी जुगाड़ने में उसका सारा दिन खप जाता हैं, एक ही चिन्ता उन्हें, पेट की, अस्तित्व रक्षा की। यह इतनी अनिश्चित हैं कि मन को अन्य चिंता में  ले जाना असंभव है। वे एक मानसिक बांझपन लिए जी रहे हैं, कम से कम जिन्हे दाल रोटी की चिंता नही उनका जीवन भी स्थिर नही हैं, शान्ति नही है, जीवन है पर उसका कोई अर्थ नही,जीवीत हैं,जीवित रहना पड़ेगा इसलिए कोई सुनिश्चत उद्ेश्य नही हैं। स्नेह ,मोह ममता,प्रेम प्रीति समस्त मानवीय मूल्य न जाने कहा खो गया है। पर इनकी जरूरत इंसान को कम नही, सिर्फ शरीर को भोजन मिलना ही काफी नही।तृष्णार्थ चेतन की भी प्यास बुझनी चाहीऐ और कमी है तो पेय की। अतः प्यास बुझाने के लिए बेझिझक गन्दे नाले के पानी का आकण्ठ पान चल रहा है। अस्थिर जीवन के अनिश्चित उतावलेपन का भुलने के लिए इन्सान को मजबूर किया जा रहा है।

गुरुवार, 25 नवंबर 2010

मेरा जीवन

कितना ही कष्टमय
 क्यों न हो मेरा जीवन
 खुशी के गीत व्यथा की संगीत गाता रहूंगा मैं, 
अन्त तक अपने को 
अपनों के बीच
 कर दूंगा विलीन
 सभी के धड़कनों में धड़कता रहूंगा 
मैं,’’ 

बुधवार, 24 नवंबर 2010

बधाई विकास को बधाई बिहार को

आज बहुत वर्षो बाद बिहार के लोगो पर गर्व करने का दिल चाह रहा है। मै बिहार का ही निवासी हुॅं युवाकाल में बिहार की शिक्षा नीति अराजकता एवं जंगलराज के कारण रोजी रोजगार के कारण ही बिहार छोड़ना पड़ा था लेकिन मेरे दिल मे बिहार कल भी था आज भी है अब भी साल मे दो तीन बार चला ही जाता हुॅं। लेकिन हरबार नराजगी अवश्य रहती थी हर तरफ बेइंतजामी बदहाली कोई कुछ करने वाला नही कहने वाला नहीं। पीछले दो वर्षो मे बिहार संभलता हुआ दिखा था लेकिन पता नही क्यो एक डर था मन में कही जातीवाद  बिहार की विकास पर हावी न हो जाए आज का परिणाम चैकाने वाला ही साबित हुआ लगा बिहार में विकास की आवश्यकता को वहाॅं के हर वर्ग ने सम्मान किया जातीवाद से उठकर विकास की तरफ देखा हैं। वर्षो से बदहाल बिहार की विकास के लिए नीतीश कुमार बधाई के हकदार हैं। हकदार है हर वो व्यक्ति जिसने बिहार के विकास पर जात पात से उठकर अपने कदम बढ़ायें है। नीतीश कुमार जी आप पर बिहार के 85 फीसदी जनता ने भरोसा किया है उम्मीद नही पुरा विश्वास आप आगे बढकर बिहार के स्वर्णीम भविष्य की दिशा तय करेगे।

मंगलवार, 23 नवंबर 2010

शुरुआत तो करनी होगी

कोई भी सृजन बगैर दर्द का संभव नही है। हर सृजन को अगर हम गौर से देखे तो उसके पीछे पायेंगें आॅंसु खुन पसीना,दुख दर्द, पराजय निराशा से तर बतर एक सघन संर्घष का इतिहास।मगर ज्योंही सृजन की प्रक्रिया समाप्त होती हैं,नई सृष्टि की सुन्दरता,उसका नयापन, उसकी चमक को देखकर सभी आनन्द विभोर हो जाते है, तृप्त होते है।क्योकि सृष्टि तो फिर भी आसान है,मगर परवरिश ? कही ऐसा ना हो कि हम अपने शिशु के अल्हड़पन में, भोलेपन में ,शरारत भरी मुस्कान मे इतना खो जाए कि वातावरण मे भी व्यापत संास्कृतिक सड़न इसके शरीर मे विषैला प्रभाव संक्रमित कर दें और हम कहते रह जाए मेरा बच्चा कभी बिगड़ नही सकता। हमे ऐसी फास्ट फूड संस्कृति से बचना ही नही होगा बल्कि इसके लिए एक मुहिम एक जनजागरण अभियान का हिस्सा भी बनना पड़ेगा यह जानते हुए भी की ये कदम आसान नही शुरूआत तो करनी होगी।

बुधवार, 17 नवंबर 2010

नाटक

नाटक यानी क्रिया, अथवा क्रिया-व्यापारों का समूह। इसलिए नाटक कही भी ,किसी तरह खेला जा सकता है    चाहे मुक्ताकाशी मंच पर या पर्देवाले मंच पर अथवा कि पूरे ताम-झाम के साथ या कि बगैर किसी बाहरी तैयारी के केवल अभिनय और केवल अभिनय के सहारे। नाटक किसी भी तरह के मंच से बंधा नही है। आज नाटक यथार्थ का भ्रम Illution of Realty  पैदा करने के लिए, फिल्मों की नकल करने के लिए मॅंहगे सेट, प्रकाश, मकअप, वेशभूषा , आदि चीजों में हजारो रूपया खर्च करते है जिसे पूरा करने के लिए टिकिट लगाया जाता है। इसलिए रंगमंच अब सीमीत  लोगो एवं महानगरो तक ही रह गया है।
लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग है जिन्होंने अपनी जिंदगी रंगमंच को समर्पित कर दी है ऐसे लोगो ने ही हिदुस्तान के कला और संस्कृति को जीवीत कर रखा है । ऐसे सभी लोगो का मेरा   सलाम 

न जाने क्या हुआ

मेरे सारे आर्टीकल  पता नहीं  कैसे   गायब हो गए इसका बैकप   भी नहीं मिल रहा है कोई बात नहीं  फिर से लिखने में शायद कुछ समय लगे लकिन लिखूंगा जरुर दुःख तो बहुत होता है लेकिन कर  क्या  सकते है शायद  Template    बदलते समय मुझसे ही   कोई गलती हो गया हो