बुधवार, 17 नवंबर 2010

नाटक

नाटक यानी क्रिया, अथवा क्रिया-व्यापारों का समूह। इसलिए नाटक कही भी ,किसी तरह खेला जा सकता है    चाहे मुक्ताकाशी मंच पर या पर्देवाले मंच पर अथवा कि पूरे ताम-झाम के साथ या कि बगैर किसी बाहरी तैयारी के केवल अभिनय और केवल अभिनय के सहारे। नाटक किसी भी तरह के मंच से बंधा नही है। आज नाटक यथार्थ का भ्रम Illution of Realty  पैदा करने के लिए, फिल्मों की नकल करने के लिए मॅंहगे सेट, प्रकाश, मकअप, वेशभूषा , आदि चीजों में हजारो रूपया खर्च करते है जिसे पूरा करने के लिए टिकिट लगाया जाता है। इसलिए रंगमंच अब सीमीत  लोगो एवं महानगरो तक ही रह गया है।
लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग है जिन्होंने अपनी जिंदगी रंगमंच को समर्पित कर दी है ऐसे लोगो ने ही हिदुस्तान के कला और संस्कृति को जीवीत कर रखा है । ऐसे सभी लोगो का मेरा   सलाम 

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