अब तपता मौसम
तपी हुई दोपहर
मुझे तय करना है लम्बा सफर
आओं चले साथ साथ
कन्धे से कनधा मिला
और हाथो मे हाथ
मुश्किल है ?
खैर रोको नही मुझे अब मैं चलता हु
मुबारक हो तुझे उपर तमतमाते हुए सूरज का चेहरा
नीचे अलाव सी रेत की लहरें
मुझे रोको नहीं
खड़े होने दो वहीं
उसी अलाव सी
तट भूमि पर देखने दो
जलते सूरज को
होने दो नाश
आंखो का अंधेरा
सपनों से संजोये
चेहरा तुम्हारा
तपी हुई दोपहर
मुझे तय करना है लम्बा सफर
आओं चले साथ साथ
कन्धे से कनधा मिला
और हाथो मे हाथ
मुश्किल है ?
खैर रोको नही मुझे अब मैं चलता हु
मुबारक हो तुझे उपर तमतमाते हुए सूरज का चेहरा
नीचे अलाव सी रेत की लहरें
मुझे रोको नहीं
खड़े होने दो वहीं
उसी अलाव सी
तट भूमि पर देखने दो
जलते सूरज को
होने दो नाश
आंखो का अंधेरा
सपनों से संजोये
चेहरा तुम्हारा
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